
यूपी के बरेली के एक जमानत प्राप्त आरोपी ने अपने रिश्तेदार की शादी में जाने के लिए विदेश यात्रा करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अनुमति देने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी. जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने श्री राम मूर्ति स्मारक आयुर्विज्ञान संस्थान, बरेली के परामर्शदाता आदित्य मूर्ति की याचिका पर ये फैसला सुनाया.
आदित्य मूर्ति ने 24 अप्रैल, 2025 को विशेष सीबीआई अदालत में विदेश यात्रा की अनुमति मांगी थी, लेकिन सीबीआई अदालत ने उसका आवेदन खारिज कर दिया था. विशेष सीबीआई अदालत के आदेश को चुनौती उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. आरोपी एक दशक से अधिक समय से सीबीआई मामले में केस का सामना कर रहा है.
हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कही ये बात
मूर्ति ने अपने रिश्तेदार की शादी के लिए अमेरिका और उसके बाद संबंधित समारोह के लिए आज से 22 मई, 2025 तक फ्रांस जाने की इजाजत हाईकोर्ट से मांगी थी. इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उसकी याचिका पर कहा कि जमानत प्राप्त आरोपी को सिर्फ रिश्तेदार की शादी में शामिल होने और मौज-मस्ती के लिए विदेश यात्रा की अनुमति मांगने का कोई हक नहीं है.
‘सिर्फ जरूरी आवश्यकता के लिए विदेश यात्रा की इजाजत’
पीठ ने कहा कि एक विचाराधीन आरोपी सिर्फ इसलिए विदेश यात्रा करना चाहता है कि वहां उसके रिश्तेदार की शादी की है और उसे मौज-मस्ती करनी है, तो इसे अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने के लिए आवश्यक कारण नहीं माना जा सकता है. पीठ ने स्पष्ट किया, ‘जमानत पर रिहा किए गए आरोपी व्यक्ति को इलाज, आवश्यक आधिकारिक कर्तव्यों में शामिल होने और इसी तरह की किसी जरूरी आवश्यकता के लिए विदेश यात्रा की इजाजत दी जा सकती है.’
शादी में शामिल होना अनिवार्य आवश्यकता नहीं-कोर्ट
हाईकोर्ट से साफ कहा कि रिश्तेदार के शादी में शामिल होना अनिवार्य आवश्यकता नहीं मानी जा सकती है. कोर्ट ने इस ओर भी ध्यान दिया कि याचिकाकर्ता को पहले भी गैर- उद्देश्य के लिए विदेश यात्रा की अनुमति दी गई थी. पीठ ने कहा ‘याचिकार्ता को पहले भी कई मौकों पर गैर-जरूरी उद्देश्यों के लिए विदेश यात्रा की इजाजत दी गई थी. सिर्फ इसलिए उसे इस बार भी गैर-जरूरी उद्देश्यों के लिए विदेश यात्रा करने का हक नहीं है.’