इस्लामाबाद : कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की अपनी कोशिश तेज करते हुए पाकिस्तान ने भारत से लगे एलओसी के करीब की सुरक्षा स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को पत्र लिखा है और मुद्दे के समाधान के लिए उसके हस्तक्षेप की मांग की है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून को लिखे एक पत्र में भारत पर जानबूझकर और बिना किसी उकसावे के पिछले एक सप्ताह से संघषर्विराम का उल्लंघन करने और सीमा पार से गोलीबारी करने का आरोप लगाया है।

अजीज द्वारा लिखे गए पत्र को पाकिस्तान के विदेश विभाग ने रविवार को जारी किया। इसमें कहा गया है ‘मैं तत्काल आपका ध्यान पाकिस्तान और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब और इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के करीब सुरक्षा की लगातार गिरती हुयी स्थिति की ओर दिलाना चाहता हूं।’

पत्र में लिखा गया है, ‘जैसा कि आप अवगत हैं जम्मू कश्मीर विवाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक लंबित मुद्दा रहा है, जिसका प्रस्ताव जम्मू कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के लिए संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में जनमत संग्रह कराने का वादा करता है और यह अभी भी वैध है क्योंकि आज तक यह लागू नहीं हुआ है।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान क्षेत्र में टिकाऊ शांति और सुरक्षा के हित में संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को दशकों से इस बात की याद दिलाता रहा है।

पिछले महीने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किये जाने का हवाला देते हुए अजीज ने कहा, ‘दुर्भाग्यवश भारत ने ऐसी नीति लागू की है जो पाकिस्तान के साथ गंभीर द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सेदारी की भारत की तरफ से उल्लेख की गयी आकांक्षा के विपरीत है।’ नवाज ने अपने संबोधन में जम्मू कश्मीर के समस्त मुद्दे के समाधान की जरूरत पर जोर दिया था। उन्होंने कहा, ‘भारत ने 25 अगस्त 2014 को प्रस्तावित विदेश सचिव स्तरीय वार्ता बिना कोई उचित कारण बताए मनमाने तरीके से रद्द कर दी।’

बान से पत्र को सुरक्षा परिषद के एक आधिकारिक दस्तावेज की तरह प्रसारित करने के लिए कहते हुए अजीज ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लक्ष्य को बढ़ावा देने में संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। अजीज ने आरोप लगाया कि भारत ने एलओसी के करीब हालात खराब किए हैं और दावा किया कि लगातार गोले दागे जाने ओैर गोलीबारी से पाकिस्तान की तरफ आम नागरिक हताहत हुए हैं।

पत्र में लिखा है, ‘1-10 अक्तूबर के दौरान एलओसी के करीब संघषर्विराम उल्लंघन की 20 और अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब 22 घटनाएं हुयी जिसमें पाकिस्तान की तरफ 12 लोग मारे गए, 52 लोग घायल हुए और नौ सैन्यकर्मी घायल हुए।’

अजीज ने लिखा है, ‘जून से अगस्त 2014 तक एलओसी के करीब संघषर्विराम उल्लंघन की 99 और अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब 32 घटनाएं हुयी। कुल मिलाकर, एलओसी के करीब संघषर्विराम उल्लंघन की अब तक 174 और अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब 60 घटनाएं हुयी।’ उन्होंने लिखा है, ‘इस उकसावे का जवाब देने में पाकिस्तान ने संयम और जिम्मेदारी दिखायी है।’ अजीज ने लिखा है, ‘कश्मीर के मुद्दे पर हम परदा नहीं डाल सकते जब तक कि जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छा के मुताबिक इसका समाधान नहीं हो जाता।’ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के शांति के अनुरोध का स्वागत करते हुए कहा कि पाकिस्तान जमीनी हकीकत से रूबरू कराने के लिए यूएनएमओजीआईपी कर्मियों को एलओसी के करीबी इलाके में ले गया।

उन्होंने लिखा है, ‘पाकिस्तान दोनों देशों और क्षेत्र के बेहतर हित में जम्मू कश्मीर के मूल मुद्दे सहित भारत और पाकिस्तान के बीच के सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति कटिबद्ध है।’ शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में यह पत्र लिखने का फैसला किया गया। समिति की अध्यक्षता शरीफ ने की और शीर्ष सैन्य अधिकारी तथा कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य इसमें शरीक हुए।

पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम उल्लंघनों पर भारत उसे ‘दुस्साहस’ छोड़ने के लिए कहते हुए अपने कड़े रुख पर कायम है। पाकिस्तान के आरोप पर कि भारत ने संघर्षविराम उल्लंघनों की शुरुआत की, नई दिल्ली ने पिछले सप्ताह कहा कि आरोप उनकी तरफ से लगाया जा रहा है जिन्होंने एक दशक तक अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पनाह दी जबकि पश्चिम के अपने सहयोगियों से कहा कि आतंक के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का वे समर्थन करते हैं।