लंदन । हीटवेव से सिर्फ सूखा ही नहीं आएगा। बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास, आबादी, ऊर्जा और सेहत संबंधी सुविधाओं पर सीधा असर होगा। इसकारण इंग्लैंड के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि भविष्य में वे कौन से देश हैं, जहां पर हीटवेव का असर सबसे ज्यादा होगा? ताकि पहले से सुरक्षा के उपाय किए जा सकें। हीटवेव का सीधा और सबसे ज्यादा असर अफगानिस्तान, पापुआ न्यू गिनी और मध्य अमेरिका पर सबसे ज्यादा पड़ेगा। बीजिंग और मध्य यूरोप भी प्रभावित होने वाले हैं। इन देशों की बड़ी आबादी को हीटवेव का नुकसान झेलना पड़ेगा। शोधकर्ताओं ने बताया कि आमतौर पर देश उन आपदाओं के लिए तैयार रहते हैं, जो वहां बर्दाश्त कर चुके हैं। लेकिन हीटवेव की मात्रा अचानक से बढ़ेगी। इसके लिए कोई भी देश तैयार नहीं है। नीतियां बनाने वालों को इसकी तैयारी करनी चाहिए। क्योंकि इंसानों की वजह से बदल रहा जलवायु ही नुकसान कर रहा है। इस स्टडी में दुनिया के 136 इलाकों को कवर किया गया है। इसमें से 31 प्रतिशत इलाका ऐसा है, जहां पर अधिक हीटवेव की घटना होगी। क्योंकि इन स्थानों पर पिछले 60 सालों से लगातार तापमान बढ़ता ही जा रहा है। चाहे वह गर्मी के मौसम का हो या फिर सर्दियों के मौसम का। औसत पारा चढ़ ही रहा है।
हीटवेव्स के आने की मात्रा और तीव्रता तेज होती जा रही है। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। हमने कुछ इलाके पहचाने हैं, जहां पर भविष्य में भयानक गर्मी पड़ेगी। क्योंकि वहां आबादी तेजी से बढ़ रही है। विकासशील देश हैं। ज्यादा तापमान से सिर्फ इंसान की मौत ही नहीं होगी। बल्कि इससे रोजमर्रा के जीवन पर भी असर पड़ेगा। खेती-बाड़ी को नुकसान होगा। जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ेगी। लेकिन इन्हें कम किया जा सकता है। शहरों में शिफ्ट में काम करने वालों के काम करने के समय में कटौती करके, शहरी इलाकों में ठंडे रहने वाली जगहें बनाकर।
विकासशील देशों को बेहद सख्त नियमों का पालन करना होगा। क्योंकि बढ़ते तापमान का असर उन देशों में ज्यादा होगा। तैयारी ही बचाव का रास्ता है। ज्यादा हीटवेव की वजह से गर्मी से संबंधित मौतों की संख्या बढ़ जाती है। हर साल लाखों की संख्या में लोग हीटवेव से मारे जाते हैं।
जंगलों में लगेगी आग, हीटवेव बढ़ने से होगी लोगों की मौत
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