अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में साल 2002 के दंगों के दौरान 28 फरवरी को नरोदा गाम में मुस्लिम परिवारों को घेरकर 11 लोगों की हत्या के मामले में विशेष अदालत गुरुवार 20 अप्रैल को अपना फैसला सुनाएगी।
गुजरात दंगा मामलों की सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर विशेष अदालत का गठन किया गया था, न्यायाधीश एस के बक्षी ने नरोदा गाम मामले में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री डॉ. मायाबेन कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 आरोपियों के खिलाफ इस दंगा मामले में अदालत में ट्रायल चला था। जांच के दौरान अब तक 18 आरोपियों की मौत हो चुकी है। 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी एस-6 को ज्वलनशील पदार्थडालकर आग लगा दी गई थी, इस ट्रेन में अयोध्या से आए कारसेवकर गुजरात लौट रहे थे जिनमें से 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी।
इस हत्याकांड के विरोध में विहिप, बजरंग दल और अन्य हिंदूवादी संगठनों ने 28 फरवरी को गुजरात बंद का आहवान किया था। एक उग्र भीड ने 28 फरवरी को नरोदा गाम की मुस्लिम बस्ती पर हमला कर 18 महिला-पुरुषों को मार डाला था।
सरकारी वकील सुरेश शाह के अनुसार करीब 13 साल से यह मामला विशेष अदालत में चला, अब तक 6 न्यायाधीश बदल चुके हैं। SIT की रिपोर्ट पर न्यायाधीश एस एच वोरा ने सुनवाई प्रारंभ की थी, उनके हाईकोर्ट में जाने के बाद न्यायाधीश ज्यौत्सना याग्निक, न्यायाधीश के के भट्ट, न्यायाधीश पी बी देसाई आए और सेवानिव्रत्त हो गए, इनके बाद आए न्यायाधीश एम के दवे का स्थानांतरण हो गया था।
भाजपा सरकार की पूर्व मंत्री डॉ. मायाबेन कोडनानी के पक्ष में केंद्रीय ग्रहमंत्री अमित शाह भी बतौर गवाह हाजिर हो चुके हैं। बचाव पक्ष की ओर से 187 गवाहों और 57 चश्मदीद गवाहों से सवाल जवाब किए गए। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 307, 143, 147, 148 ,153 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया।
गौरतलब है कि नरोदा पाटिया केस में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री डॉ. कोडनानी को विशेष अदालत ने 28 साल की सजा सुनाई थी जिसे बाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। नरोदा पाटिया में 97 लोगों की सामूहिक हत्या कर दी गई थी। अपने बचाव में कोडनानी ने विशेष अदालत को बताया था कि वे इस कांड के दौरान गुजरात विधानसभा में मोजूद थी।