चेन्नई। देश के पूर्वी तट पर सामुद्रिक निगरानी व्यवस्था को मजबूती देने के उद्देश्य से नौसेना स्वदेश में निर्मित गश्ती युद्धपोत आइएनएस सुमित्रा को आज अपने बेड़े में शामिल करेगी। नौसेना प्रमुख एडमिरल आरके धवन इस पोत को नौसेना में शामिल करेंगे।

भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला यह पोत अपनी तरह के युद्धपोतों के बीच सबसे बड़ा है। भारत की नौसेना में इस तरह के तीन युद्धपोत शामिल हैं, जिनके नाम आइएनएस सरयू, आइएनएस सुनयना और आइएनएस सुमेधा हैं। भारत में ही निर्मित इस युद्धपोत में नवीनतम संचार प्रणाली लगी है। आइएनएस सुमित्रा 25 समुद्री मील प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकती है।

इस तरह के युद्धपोत की किसी पर हमला करने के लिए नहीं, बल्कि अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा करने के लिए जरूरत होती है। समुद्री दस्युओं से लड़ने, गैरकानूनी रूप से देश में घुसने की कोशिश करने वाले आप्रवासियों को रोकने तथा समुद्र में गैरकानूनी रूप से मछली पकड़ने वालों को रोकने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर इस तरह के पोतों में हमलावर हथियार नहीं लगे होते हैं। लेकिन ये पोत बड़ी तेज गति से चलते हैं और बड़े सक्रिय होते हैं।

भारत की युद्धपोत बनाने वाली कम्पनी गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में बताया गया है कि यह पोत समुद्री संचार लाइनों की निगरानी करने, समुद्र में बने तेल के कुओं की सुरक्षा करने तथा अन्य तटवर्ती भारतीय सम्पत्ति की देखरेख और पहरेदारी करने के लिहाज से डिजाइन किया गया है।

विज्ञप्ति में बताई गई एक और बात भी ध्यान आकर्षित करती है कि आइएनएस सुमित्रा जैसे बड़े गश्ती युद्धपोतों का इस्तेमाल विशेष पोतों की सुरक्षा के लिए और नौसैनिक बेड़े की विभिन्न गतिविधियों में सहायता करने के लिए भी किया जा सकता है। गोवा शिपयार्ड में दो और ऐसे ही युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है।