इंदौर। कॉफी शॉप पर आमतौर पर सामाजिक और राजनीतिक बहसें आम हैं, लेकिन कैलिफोर्निया के 'चाय शॉप" में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म पर चर्चाएं होती हैं। सुनने में यह नया जरूर है और चौंकाने वाला भी। यहां हर गुरुवार की शाम भजन, गीता के अध्यायों पर चर्चाएं होती हैं और आध्यात्मिक साहित्य पढ़ा जाता है। इस चाय शॉप में भारतीयों के साथ अमरीकी भी आते हैं और सभी मिलकर भजनों पर थिरकते भी हैं। यहां आने वाले अमेरिकियों के बीच शिव, गणेश, विष्णु सभी देवताओं की कथाएं प्रसिद्ध हैं।

इस चाय शॉप की शुरुआत प्रसिद्ध लेखक और भारत में अमेरिका के डिप्लोमेट रह चुके लेविस एलविंगर ने की। लेविस हर साल अपने भारतीय मित्र और चित्रकार शहर के जवरचंद दस्सानी से मिलने आते हैं। लेविस ने सिटी लाइव से अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा कि भारत के साथ उनका लंबा जुड़ाव रहा है और ऐसा लगता है कि वे शायद पिछले जन्म में भारतीय ही थे।

भारत में नियुक्ति के दौरान लेविस शांति निकेतन की कला और शिक्षा से बेहद प्रभावित हुए और अमेरिका लौटने के बाद उन्होंने भारतीय संस्कृति को अध्यात्म को दूसरों तक पहुंचाने के लिए 'चाय शॉप" की शुरुआत की। ताकि चाय के बहाने वे आम अमेरिकियों को भारतीय दर्शन के बारे में बता सकें।

दुनिया का हर शख्स मूल रूप से भारतीय

वे यह मानते हैं कि हर व्यक्ति जो किसी भी देश में कहीं भी रह रहा हो, मूलरूप से भारतीय ही है। सभी का पहला जन्म भारत में ही हुआ है बाकी तो पुनर्जन्म है। भारत से अपने इस जुड़ाव की वजह वे यहां का ज्ञान, सभ्यता, संस्कृति और लोगों की सहिष्णुता बताते हैं। वे मानते हैं कि भारत विश्व गुरु है।

जितना समझेंगे उतना जुड़ पाएंगे

भारत की कला और साहित्य बहुत समृद्ध है। दरअसल किसी भी देश की कला और साहित्य को समझने के लिए हमें उसमें डूबना होता है। जितना आप उन्हें समझने की कोशिश करेंगे, उतना ही उसके बारे में दूसरों को भी समझा सकेंगे।