नई दिल्ली । मंकीपॉक्स वायरस ने भारत में प्रवेश कर लिया है। केरल के कोल्‍लम जिले से मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। मरीज हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात से लौटकर आया था। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर संदिग्‍ध को तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. टेस्‍ट में उसके मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। फिलहाल जहां उसका इलाज चल रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 73 देशों के 10,800 से ज्‍यादा लोगों में मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो हुई है।
भारत में मंकीपाक्स वायरस से संक्रमण का पहला केस सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने एक हाई लेवल टीम केरल भेज दी है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने एडवायजरी जारी कर सभी राज्यों को मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण की निगरानी, इसकी पहचान और आइसोलेशन पर जोर देने के लिए कहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि सभी संदिग्धों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग जरूर होनी चाहिए। मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए यह जानना जरूरी है कि यह कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या हैं, क्या इस संक्रमण का कोई इलाज या वैक्‍सीन है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरस है, इसका संक्रमण कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है। इस वायरस के दो स्‍ट्रेन हैं- पहला कांगो स्ट्रेन और दूसरा पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन हैं। दोनों ही स्ट्रेन 5 साल से छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं। कांगो स्ट्रेन से संक्रमण के मामलों में मृत्यु दर 10 प्रतिशत और पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन से संक्रमण के मामलों में मृत्यु दर 1 प्रतिशत है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं। संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं और आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं। यदि फीवर के बाद शरीर पर रैशेज दिखते हैं, तब तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
विशेषज्ञों का मानना है कि मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित किसी जानवर के संपर्क में आने से यह इंसानों में फैलता है। यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमण बंदर, कुत्ते और गिलहरी जैसे जानवरों या मरीज के संपर्क में आए बिस्तर और कपड़ों से भी फैल सकता है। एक संक्रमित व्यक्ति सिर्फ एक ही व्यक्ति को संक्रमण फैला सकता है। इसके बाद कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और मरीज को आइसोलेट करना आसान है। विशेषज्ञों के अनुसार हाई रिस्क मंकीपॉक्स मरीजों को 21 दिन के लिए आइसोलेट करने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक वायरस का व्यवहार कोरोना से काफी अलग है। इसके महामारी में तब्दील होने की संभावना बहुत कम है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके फैलने का तरीका भी कोविड से अलग है। मंकीपॉक्स के इलाज के लिए दवा और टीका दोनों ही उपलब्ध है। डॉक्टरों के अनुसार वायरस से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधान रहने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने के लिए 85 फीसदी कारगर है।
केंद्र सरकार सतर्क, डॉक्टरों की एक टीम केरल भेजी गई
देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल में सामने आने के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थिति से निपटने में अधिकारियों का सहयोग करने के लिए राज्य में एक उच्च स्तरीय बहु-विषयक टीम भेजी है। इससे पहले, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा था कि विदेश से राज्य में लौटे एक 35 वर्षीय एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में व्यक्ति में मंकीपॉक्स संक्रमण की पुष्टि हुई। केरल भेजी गई केंद्रीय टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राम मनोहर लोहिया अस्पताल, नई दिल्ली के विशेषज्ञों और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यालय, केरल के विशेषज्ञ हैं।
टीम में शामिल अधिकारियों ने कहा कि टीम राज्य के स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम करेगी और जमीनी स्थिति का जायजा लेगी तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों की सिफारिश करेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करके और राज्यों के साथ समन्वय करके सक्रिय कदम उठा रही है।