
सुल्तानपुर । सुल्तानपुर यूपी के अवध क्षेत्र में आता है और इस इलाके में श्रीपति मिश्र का दबदबा रहा करता था। इसके अलावा सुल्तानपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़, जौनपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, बस्ती, गोंडा समेत अवध के बड़े इलाके में ब्राह्मणों की अच्छी खासी आबादी है। ऐसे में श्रीपति मिश्र के अपमान का जिक्र कर एक तरफ पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला तो वहीं ब्राह्मण बिरादरी को साधने की भी कोशिश की। श्रीपति मिश्र का जन्म सुल्तानपुर के ही शेषपुर गांव में 20 जनवरी, 1924 को हुआ था। कानून की पढ़ाई करने वाले मिश्र की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नौकरी लगी थी, लेकिन इस्तीफा देकर उन्होंने प्रधानी का चुनाव लड़ लिया था। इसके बाद भी वह वकील के तौर पर काम करते रहे और प्रधानी भी जारी रही। इसी दौरान उनका कांग्रेस से संपर्क होता है और 1962 का विधानसभा चुनाव वह लड़ जाते हैं और उसमें जीतकर विधायक बनते हैं। वह लगातार दो बार विधायक बने और फिर 1969 में कांग्रेस के ही टिकट पर सुल्तानपुर सीट से जीतकर सांसद बन गए थे। हालांकि उनका झुकाव इस दौरान चौधरी चरण सिंह की ओर हुआ और वह 18 फरवरी 1970 से एक अक्टूबर 1970 तक चौधरी चरण सिंह की सरकार में मंत्री बने। भले ही यह सरकार कम चली, लेकिन उन्हें प्रशासन का अनुभव मिल चुका था। इसके बाद भी वह एमएलसी बने और राज्य योजना उपाध्यक्ष जैसे पदों पर भी रहे। लेकिन उनके राजनीतिक जीवन का सबसे अहम साल 1982 था, जब वीपी सिंह के इस्तीफे के बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें यूपी का सीएम बना दिया। कहा जाता है कि संजय गांधी से अच्छे रिश्तों के चलते वह सीएम बनाए गए थे। हालांकि इस दौरान कई मुद्दों पर उनकी अरुण नेहरू और राजीव गांधी से बिगड़ गई और उन्हें पद छोड़ना पड़ गया। यही वजह थी कि पीएम नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद के चलते श्रीपति मिश्र के अपमान का जिक्र पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के मंच से किया। श्रीपति मिश्र उन आखिरी ब्राह्मण नेताओं में से थे, जो यूपी के सीएम बने।