
अलीगढ़ । थाना गांधी पार्क के रोडवेज बस स्टैण्ड पर नावल्टी सिनेमा के आस-पास होटलों में गर्म गोश्त की धांध खुलेआम फल-फूल रहा है। आखिर किसकी शह पर बस स्टैण्ड पर होटलों में वैश्यावृत्ति की जा रही है।
सड़क के किनारे खड़े होकर कुछ महिलाएं राहगीर युवकों को अपने जाल में फंसाकर अपनी देह का सौद करती रहती हैं, ऐसी महिलाएं लोगों को ठग रही हैं, और होटलों पर अपना कमीशन सेट कर अपने शरीर को बेच रही हैं।
पहले लोग कहते थे कि इज्जत लडकी का गहना होता है. और यह सच भी है, इज्जत महिला का गहना होता है। हम सभी इस बात को अपने परिवार के लिए लागू करते हैं लेकिन आखिर यह भावना और मनोदशा तब कहां होती है जब हम किसी वैश्या के साथ सोते हैं। तब हम उस महिला की इज्जत उतारने से बिलकुल भी परहेज नहप करते, तब यह ख्याल क्यों नही आता कि वह लड़की भी किसी भी बहू, बेटी, मां हो सकती है. और इससे भी बड़ा सवाल कि वह लड़की अपनी इज्जत का सौदा करती ही क्यों है?
क्या होती है वेश्यावृत्ति
वेश्यावृत्ति (लैटिन भ्रष्टता, अपमान, अपवित्रता लाना), एक शुल्क के लिए ग्राहकों की आवश्यकताओं जैसे यौन संतुष्टि के लिए शरीर को बेचना है। जिससे एक महिला को आजीविका कमाने का मौका मिले, प्राचीन काल से ज्ञात वेश्यावृत्ति का मतलब है कि आप किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाने के बाद उसका भुगतान पैसों से करें। यह धरती का सबसे पुराना व्यवसाय है, वेश्यावृत्ति जिसकी उपस्थिति प्राचीन युग से है समाज में मान्य और अमान्य दोनों के तराजू पर बराबर है। यह एक तरह का व्यापार है जिसमें देह और इज्जत दोनों की नीलामी होती है। वेश्यावृति में न सिर्फ महिला के देह का सौदा होता है बल्कि उसकी मर्यादा को भी बेच दिया जाता है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हम इसे मान्यता देते ही क्यों हैं और किन हालातों में यह समाज में उत्पन्न हुआ?
क्यों बिकता है शरीर
हालांकि वेश्यावृति की कई वजहें हैं लेकिन जिस वजह से यह सबसे ज्यादा फैला है वह है गरीबी। गरीबी इंसान को कुछ भी करा सकती है फिर जब गरीबी और पेट के लिए हम किसी का कत्ल कर सकते हैं तो फिर औरतों के पास वेश्यावृत्ति के रुप में यह एक ऐसा साधन है जिससे वह अपनी आजीविका कमा सकती हैं।
गरीबी के अलावा महिलाओं का किसी पर जल्दी ही भरोसा करना भी इसकी दूसरी सबसे अहम वजह है. प्राप्त जानकारियों से यह बात सामने आई है कि गरीबी के अलावा जिस वजह से महिलाएं इस दलदल में आती हैं वह है किसी का धोखा. अक्सर कुछ असामाजिक तत्व महिलाओं के भोलेपन के कारण प्रेम जाल का झांसा देकर उन्हें घर से भगा लाते हैं और दूसरे शहर में उन्हें बेच देते हैं. सुनकर दिल में दुख होता है कि प्रेम का झांसा देकर किसी को ऐसे काम करने पर मजबूर किया जाता है।
कई बार महिलाएं आत्म-संतुष्टि और अपनी दैहिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी यह व्यवसाय अपनाती हैं. हालांकि यह बहुत कम होता है लेकिन आज के समय में जहां हर कोई ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहता है काफी लडकियां इस व्यवसाय को अपना रही हैं।
बस एक भ्रम है कुंवारापन वेश्यावृत्ति का फैलाव
यह व्यवसाय इस समय पूरे विश्व में फैला हुआ है. कुछ जगहों पर यह कानूनी मान्यता प्राप्त है तो कई जगह चोरी-छुपे यह धंधा होता है. स्वीडन, यूरोप के अधिकांश शहर, पेरिस आदि जगहों पर यह व्यवसाय पूरी तरह मान्यता प्राप्त है. स्वीडन में तो बकायदा इस पर टैक्स भी वसूला जाता है.
भारत की साफ-सुथरी सभ्यता में यह दाग कैसे
भारत एक विकासशील देश है जहां गरीबी की वजह से प्रतिवर्ष कई मौतें होती है. इसके साथ ही हमारे यहां रोजगार के साधन भी इतने कम हैं कि लोगों को वैकल्पिक साधन अपनाने पड़े.। मर्द़ों ने जहां जुर्म की दुनिया में कदम बढाए तो महिलाओं ने वेश्यावृत्ति का सहारा लिया. साथ ही भारत में एक चीज और है कि जो काम कानूनी तौर पर दण्डनीय हो उसे तो करना आवश्यक है ही. गरीबी, धोखे और लालच ने वेश्यावृत्ति को भारत में बढ़ावा दिया है।
वैसे हमारे देश में भी प्राचीन काल से ही वेश्यावृत्ति चल रही है, वेश्याओं को पहले नगरवधू कहते थे जो विशेष आयोजनों पर नगर और महल के युवकों की देह की भूख शांत करती थप। इसके साथ ही आज कल की हाईप्रोफाइल लाइफ के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की चाहत ने भी इस व्यवसाय को हवा दी है। आज यह व्यवसाय भारत में इस कदर फैल चुका है कि विदेशी यहां खास तौर पर सिर्फ इसी काम के लिए आते हैं।
भारत में वेश्यावृत्ति नियंत्रण कानून
भारत में वेश्यावृत्ति नियंत्रण से संबंधित क़ानून हैं भी, तो वे ख़ासकर महिलाओं के अनैतिक व्यापार और गर्ल एक्ट-1956, अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम-1956, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम-1956 और आईटीपीए अधिनियम-1956 से संबंधित हैं। अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम में संशोधन के लिए वर्ष 2006 में महिला एवं बाल विकास मंत्री ने संसद में एक विधेयक पेश किया थां अब भारत सरकार ने एक नया क़ानून प्रस्तावित किया है, जिसके तहत यह अपराध नहप रह जाएगा।
लेकिन साथ ही आईपीसी की धारा 376 के तहत किसी को जबरदस्ती इस व्यवसाय में धकेलना और वेश्यावृत्ति पर अपनी आजीविका चलाना कानून अपराध हैं।
रेड लाइट एरिया: आखिर क्या है अंदर की कहानी
सबसे अहम सवाल है जब सरकार ने कहा कि वेश्यावृत्ति कानूनन जुर्म है तो रेड लाइट एरिया का निर्माण ही क्यों किया?
पहले तो इसके मतलब को समझ लीजिए. ,सरकार ने रेड लाइट एरिया में लाइसेंस वेश्यावृत्ति या देह-व्यापार के लिए नहप बल्कि मुजरा या नृत्य देखने के लिए दिया है, लेकिन सभी जानते हैं कि इन लाइसेंसों का गलत उपयोग कर कुछ लोग यहां वेश्यावृत्ति का धंधा चलाते हैं। सरकार के अनुसार मुजरा देखना अपराध नहप है और इसी के लिए रेडलाइट एरिया को इसके लाइसेंस दिए जाते हैं।
आखिर क्यों दें इस घृणित व्यवसाय को मान्यता
अभी हाल ही में दिल्ली के एक संत पकड़े गए जो लडकियों से वेश्यावृत्ति कराते थे और उसमें से कइयों को वह जबरदस्ती इस दलदल में लेकर आए थे। बस सटैण्ड पर खड़ी महिलाओं के बारे में सभी जानते हैं कि जिनके गिरोह में ऐसी लडकियां थप जिन्हें शहर के युवक गांवों से शादी और काम का लालच दे बेच देते थे और वह उनसे देह व्यापार कराती थी।
जरा सोच कर देखिए कि आपकी बेटी, बहू या मां को कोई जबरदस्ती उठा कर ले जाए और उनसे देह-व्यापार कराए। सोचने मात्र से ही आपकी रुह कांप उठी है ना! अब ऐसे में क्या आप इसे मान्यता देना चाहेंगे? क्या आप चाहेंगे कि आपकी इज्जत भी चंद कौड़ियों के भाव बेच दी जाए।
नहप न, तो क्यों ऐसी मांग उठी कि इसे कानूनी मान्यता मिले. सरकार इन दिनों ऐसे कई कानूनों पर विचार कर रही है जो हमारी पूर्ण स्वंतत्रता में बाधक हैं जैसे गे-कानून, सरोगेसी कानून, तलाक कानून आदि। अब ऐसे में समाज का एक बुद्धिजीवी वर्ग यह आवाज उठा रहा है कि इसे कानूनी मान्यता दे देनी चाहिए. इसे अनैतिक विचार के सिवा और क्या कहेंगे.?
जब रोक नहप सकते तो मान्यता दे दो
हाल ही भारत में कई ऐसी कांड सामने आए जिसने यह दर्शा दिया कि समय के अनुसार हमें कानूनों को बदलना पड़ेगा । बढ़ती प्रतिस्पर्धा, उच्च जीवन शैली की चाह और गरीबी ने देहव्यापार को एक ऐसा क्षेत्र बना दिया है जहां यह युवाओं को कैरियर की तरह दिखने लगा है।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को वेश्यावृति को कानूनन मान्यता देने की सलाह दी है। केंद्र सरकार के इस पर तर्क हैं कि यह बहुत पुराना पेशा है और इस पर कानूनन लगाम नहप लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर इस पर रोक नहप लगा पा रहे हैं तो क़ानूनी मान्यता तो दे ही सकते हो। तब कम से कम इस पेशे पर नज़र रखना आसान हो जाएगा। जरूरतमंदों का पुनर्वास और जरुरी मेडिकल सामग्रियां भी देने में आसानी होगी। देह व्यापार को कानूनन बंद नहप कर पाने की स्थिति में अन्य कई देशों ने भी इसे क़ानूनी मान्यता दे रखी है। भारत की बात करें तो मौजूदा कानून पब्लिक प्लेस से 200 मीटर की दूरी तक देह व्यापार को अपराध मानता है। सेक्स वर्करों को पब्लिक प्लेस में अपने ग्राहक खोजने की भी मनाही है।
लेकिन तब क्या करें जब कोई खुद ही स्वेच्छा से इसे अपनाना चाहे. ऐसी स्थिति में हम उसकी मौलिक स्वतंत्रता के विरोध में खड़े होंगे क्योंकि भारत में कोई भी अपनी मजब से कोई भी व्यवसाय कर सकता है और जब इस पेशे में इतना धन है तो इसे अपनाने में हर्ज क्या.
हम भारतीयों का हमेशा से यह मान्यता रही है कि धोती-कुर्ता सफेद दिखे लेकिन हम उस साबुन की अहमियत भूल जाते हैं जो इसे सफेद बनाता है। वेश्याएं भी समाज में साबुन का काम करती हैं जो इसकी बुराइयों को साफ करती हैं लेकिन समाज उन्हें तिरस्कार और घृणा के भाव से देखता है।
क्या बुराई है सेक्स शब्द में
वेश्याओं के लिए भी वो सारी सुविधाएं होनी चाहिए जो किसी सामाजिक व्यक्ति के लिए होता है। जब हम वेश्याओं के साथ हम बिस्तर होने में शर्म महसूस नहप करते फिर इन्हें मान्यता देने से पीछे क्यों हट जाते हैं। वेश्याएं अपने तन, बदन और यौवन से इस समाज की प्यास को शांत करती है और बदले में समाज उसे रंडी , रखैल , वेश्या ,धंधेवाली आदि उपाधियों से सुशोभित करता है।
रेप और बलात्कार कम करने का फार्मूला
वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता देने से सबसे ज्यादा फायदा यह होगा कि समाज में बलात्कार जैसे काण्ड कम हो जाएंगे। पश्चिमी देशों में रेप और बलात्कार कम होने की मुख्य वजह यही है। जब पुरुष की वासना प्यास का रुप धारण कर लेती है तब वह उस प्यास को बुझाने के लिए हर कोशिश करता है और ऐसे में भूलवश ही सही वह बलात्कार और रेप जैसे अपराध कर बैठता है। जब प्यास बुझाने के साधन आसपास ही मौजूद होंगे तब ऐसे अपराधों से भी निजात मिलेगी।
असली उपाय यह हो सकता है
क़ानूनी ढांचे में कुछ इस तरह संशोधन होना चाहिए कि इससे महिलाओं का शोषण बंद हो और उन्हें इस काम के लिए मजबूर न किया जा सके. इससे भी अधिक जरूरी है कि भारत की सामाजिक संरचना को नुक़सान न पहुंचे। सख्त नियंत्रण की दरकार इसलिए भी है, ताकि अवयस्क लड़कियों को इस काम के लिए मजबूर न किया जा सके।
यौनकर्मियों के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के लिए एक निश्चित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए. साथ ही जब कोई इस पेशे में आए तो उसके पास स्वास्थ्य प्रमाणपत्र होना अनिवार्य हो.। किसी दूसरी फर्म की तरह वेश्यालयों पर भी टैक्स लगना चाहिए और यौनकर्मियों की चिकित्सा व्यवस्था के लिए सरकार द्वारा एक निश्चित राशि भी तय होनी चाहिए।
सवालों के घेरे में हैं हम सभी
ऐसे कई सवाल हैं जिससे हम मुंह नहप मोड़ सकते. कहप इसे कानूनी मान्यता देने पर हमारे देश की हालत भी पश्चिमी देशों जैसी तो नहप हो जाएगी जहां भोगियों की भरमार हो गई है. क्या हमारे देश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी?
क्या कोई इस बात की गांरटी ले सकता है कि भारत जहां हर चीज बिकाऊ है और जहां कानून बनते ही तोड़ने के लिए हैं वहां इस कानून का पालन होगा? क्या हम वाकई तैयार है इसे अपनाने के लिए?
भूख तो कभी नहप मिटेगी
असल बात तो यह है कि जितना खाना बढ़ेगा उतनी भूख भी बढ़ेगी. इसलिए इसे कानूनी मान्यता देते समय महिलाओं और बच्चों का सबसे ज्यादा ध्यान रखना होगा। कहप ऐसा न हो कि दिखावे के चलते हमें भी पश्चिमी देशों की तरह नंगी सभ्यता वाला देश करार दिया जाए।