नई दिल्ली । राजनीति में अभी तक सफलता का इंतजार रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अब भगवान बुद्ध के मध्यम मार्ग पर चलने को तैयार हैं। पार्टी की राजनीति में आने के बाद से अपनी टीम और गिने चुने नेताओं तक सीमित राहुल अब न सिर्फ पार्टी के लोगों से घुल मिल रहे हैं बल्कि उनसे भविष्य की राह भी समझना चाह रहे हैं। नई सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की वर्तमान लोकप्रियता के मद्देनजर राहुल सरकार के विरोध के बजाए संगठन बनाने के लिए ऊर्जा लगाना चाह रहे हैं।

हालांकि, इस सारी कवायद को लेकर पार्टी के नेताओं में ज्यादा उत्साह नहीं हैं। राहुल से मिलकर आए एक पूर्व मंत्री ने बताया कि इन मुलाकातों का निष्कर्ष तैयार करने के लिए वही टीम अधिकृत है जिसने चुनावों में पार्टी का बेड़ा गर्क किया है। ऐसे में इससे बहुत ज्यादा उम्मीद रखना बेमानी है। हालांकि, उन्होंने अब तक राहुल के स्वभाव का ठीकरा उनकी टीम पर फोड़ते हुए कहा, ‘राहुलजी किसी के विरोध के बजाए बीच के रास्ते पर चलना चाह रहे हैं।’ इसे हार के बाद नेतृत्व को लेकर उभरे विरोध को शांत करने की तरकीब कहें या फिर पार्टी को समझने की राहुल की पहल। आम तौर पर अपनी टीम से घिरे रहने वाले राहुल गांधी पिछले तीन दिनों से कई घंटे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बिता रहे हैं। दस-दस नेताओं के समूह में तीन से चार घंटे चलने वाली इन लंबी बैठकों में राहुल कांग्रेस के भविष्य की राह क्या हो? इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। इन मुलाकातों का लिखित ब्योरा तैयार करने का जिम्मा राहुल के बेहद करीबी के राजू के पास है। इन बैठकों के बाद विभिन्न नेताओं की राय पर राहुल के करीबी माने जाने वाले मोहन गोपाल और उनकी टीम चर्चा करती है। बैठक में आए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर एक रिपोर्ट बनाई जाएगी।

राहुल से मिल कर लौटे पार्टी के एक वरिष्ठ महासचिव ने कहा, ‘राहुल के अंदर बदलाव महसूस किया जा सकता है। उनमें परिपक्वता की झलक देखी जा सकती है। निश्चय ही यह बेहद सकारात्मक है।’ यह पूछने पर कि क्या चुनावी पराजय पर कोई बात हो रही है? पार्टी के एक और महासचिव ने कहा कि वहां सिर्फ भविष्य पर बात हो रही है। पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख व पार्टी महासचिव अजय माकन ने कहा, ‘राहुलजी समय-समय पर पार्टी के लोगों से मिलते रहते हैं।’ इन मुलाकातों के बाद बनने वाली रिपोर्ट का हाल कही एंटनी कमेटी जैसा तो नही होगा? यह पूछे जाने पर पार्टी के एक और महासचिव ने कहा कि नही इंतजार कीजिए यह रिपोर्ट जल्द ही सामने आएगी।

‘प्रदेश इकाइयों की सलाह नहीं लेता कांग्रेस आलाकमान’

तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद बीएस गणदेसकिन ने पार्टी आलाकमान पर अहम मुद्दों को लेकर प्रदेश इकाइयों से विचार-विमर्श नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने पार्टी के सदस्यता कार्ड से दिग्गज दिवंगत नेताओं के. कामराज और जीके मूपनार के चित्र हटाने के फैसले की भी आलोचना की। गणदेसकिन ने बृहस्पतिवार को इस्तीफा पार्टी हाइकमान को भेज दिया था। शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी तभी सफल हो सकती है जब प्रदेश स्तर पर इसे मजबूत किया जाए। प्रदेश में कांग्रेस के विभिन्न धड़ों में एकता बनाने के लिए उन्होंने पुरजोर प्रयास किए लेकिन कई पदाधिकारी बैठकों में शामिल नहीं होते थे। यहां तक कि कई पदाधिकारी पार्टी मुख्यालय भी नहीं जाते।